(उच्च पद और मान सम्मान) बृहस्पति दशम भाव में 2 days ago

बृहस्पति दशम भाव में _Astrologer Nipun _Joshi

🟡 बृहस्पति दशम भाव में (Jupiter in the 10th House)

भाव का स्वरूप: दशम भाव को “कर्म भाव”, “व्यवसाय भाव”, और “राजकीय मान-सम्मान” का भाव कहा जाता है। यह जीवन में कर्म, कैरियर, पेशा, यश, शासन, प्रतिष्ठा, सामाजिक जिम्मेदारी और प्रतिष्ठान से जुड़ा है।

बृहस्पति जब दशम भाव में स्थित होता है, तो यह व्यक्ति के कर्म क्षेत्र को धार्मिक, नैतिक, शिक्षात्मक, और लाभकारी दिशा में ले जाता है।


बृहस्पति दशम भाव में – शुभ फल

👑 1. श्रेष्ठ कर्म और उच्च प्रतिष्ठा

  • व्यक्ति धर्म, न्याय, नीति और सेवा भावना से कर्म करता है।
  • समाज में उसका नाम होता है, लोग उसे गुरु, मेंटर, ज्ञानी या मार्गदर्शक मानते हैं।
  • “धार्मिक/शैक्षणिक/कानूनी/प्रशासनिक” क्षेत्रों में विशेष सफलता मिलती है।

💼 2. कैरियर में स्थायित्व और उन्नति

  • बृहस्पति दशम में होने से स्थिर, सम्मानित और उच्च पद की प्राप्ति होती है।
  • व्यक्ति को सरकारी पद, न्यायपालिका, गुरु/प्रोफेसर, या कानूनी सलाहकार के रूप में सफलता मिलती है।

💰 3. आर्थिक समृद्धि

  • बृहस्पति एक लाभदायक ग्रह है, और दशम भाव कर्म का फल है।
  • इसलिए जातक को कर्म से साफ-सुथरी, नैतिक आय होती है।
  • कोई परंपरागत व्यवसाय या सलाहकारी सेवा फायदेमंद होती है।

🕉️ 4. धार्मिक, न्यायप्रिय और नैतिक प्रवृत्ति

  • ऐसा व्यक्ति धर्म, सदाचार, नियमों का पालन करने वाला होता है।
  • नीति और मर्यादा में रहकर जीवन की राह तय करता है।
  • जीवन के अंतिम चरण में आध्यात्मिक उन्नति की संभावना भी बनती है।

📈 5. बृहस्पति की दृष्टियाँ (5th, 7th, 9th) भी करती हैं कर्म में सुधार

  • पंचम दृष्टि से द्वितीय भाव (धन) को देखता है → धन वृद्धि
  • सप्तम दृष्टि से चतुर्थ भाव (घर, सुख) को देखता है → घर में सुख-शांति
  • नवम दृष्टि से छठे भाव (शत्रु, रोग) को देखता है → शत्रु पर विजय, स्वास्थ्य रक्षा

(उच्च पद और मान सम्मान) बृहस्पति दशम भाव में

यदि बृहस्पति पीड़ित हो तो:

  • नैतिक भ्रम: धर्म और कर्म का भ्रम; दिखावा अधिक, सार कम
  • अहंकार या सलाह की अवहेलना: “मैं ही सही” का भाव
  • कर्म में अड़चन: कैरियर बार-बार बदलना या निर्णय में विलंब
  • धर्म के नाम पर कर्म से विचलन

👉 विशेषकर यदि बृहस्पति नीच राशि (मकर) में हो या राहु/शनि से पीड़ित हो, तो फल नकारात्मक हो सकते हैं।


🌟 राशि अनुसार विश्लेषण (संक्षेप में)

राशि फल
♋ कर्क उच्च स्थिति – धर्म, कर्म, सम्मान में सर्वोत्तम
♐ धनु / ♓ मीन स्वगृह – उच्च पद, धर्मनिष्ठ जीवन
♑ मकर नीच – धर्म और कर्म का टकराव, दुविधा
♍ कन्या / ♉ वृषभ मित्र राशि – सलाहकार, प्रोफेसर, विद्वान बनाता है

📚 संभावित योग

  • धर्म-कर्म योग
  • राज्य सम्मान योग
  • विद्या से आजीविका योग
  • गुरु-कर्म योग (ज्ञान से कर्म की प्राप्ति)
  • नीति-अधिकार योग (सत्य के साथ नेतृत्व)

🪔 उपाय (यदि पीड़ित हो):

  • “ॐ बृं बृहस्पतये नमः” मंत्र का नियमित जप करें।
  • पीले वस्त्र, हल्दी, चना दाल, पीले फूल का गुरुवार को दान करें।
  • योग्य गुरु का सम्मान करें और सेवा करें।
  • धार्मिक या शैक्षणिक संस्थान में सेवा देना शुभ होगा।

🔚 निष्कर्ष

बृहस्पति दशम भाव में एक अत्यंत उत्कृष्ट योग माना जाता है। यह जातक को प्रतिष्ठा, नैतिकता, यश, और उच्च कैरियर प्रदान करता है। यह स्थिति कर्म को धर्म से जोड़ती है, जिससे व्यक्ति एक आदर्श समाज सेवक, नेता या शिक्षक बन सकता है।

👉 यदि आप बताएं कि कौन-सी राशि में बृहस्पति दशम भाव में है, तो मैं और अधिक गहराई से फल बता सकता हूँ।

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