वैदिक ज्योतिष में पुनर्विवाह (दूसरी शादी) के योग – विस्तृत विश्लेषण
(Second Marriage Yogas in Vedic Astrology)
🔯 पुनर्विवाह क्या है?
पुनर्विवाह का अर्थ है – पहली शादी के बाद जीवन में दूसरी बार वैवाहिक बंधन में प्रवेश करना। यह तब होता है जब:
- पहली शादी में तलाक, विधवा/विधुरत्व या संबंधविच्छेद हो
- पहली शादी भावनात्मक या सामाजिक रूप से असफल रही हो
वैदिक ज्योतिष में कुछ विशेष योग, भावों की स्थिति और ग्रहों की युतियाँ स्पष्ट रूप से पुनर्विवाह की संभावना को दर्शाती हैं।
📜 पुनर्विवाह के मुख्य भाव:
भाव | महत्व |
---|---|
7वां भाव | पहला विवाह |
2रा भाव | परिवार और विवाह की निरंतरता |
9वां भाव | भाग्य और दूसरा विवाह (7वें से 3रा भाव) |
11वां भाव | इच्छाओं की पूर्ति, नए रिश्ते |
6वां भाव | तलाक, मुकदमे, वैवाहिक संघर्ष |
8वां भाव | अचानक परिवर्तन, जीवनसाथी की आयु/समाप्ति |
🌟 पुनर्विवाह के प्रमुख योग और संकेत:
🔁 1. 7वें भाव या 7वें भाव के स्वामी का पीड़ित होना:
- पाप ग्रहों (शनि, मंगल, राहु, केतु) से दृष्ट या युति
- 7वां भाव नीच राशि में हो या पाप ग्रहों से ग्रस्त हो
- यह पहली शादी के विघटन या कष्टपूर्ण होने का संकेत है
🔁 2. 2रे भाव का बलवान होना (परिवार की पुनर्स्थापना):
- यदि 2रा भाव या उसका स्वामी शुभ स्थिति में हो
- यह नए परिवार या विवाह की पुनर्रचना को दर्शाता है
🔁 3. 9वें भाव से जुड़ा योग (7वें से 3रा = दूसरा विवाह):
- यदि 9वां भाव बलवान हो और शुभ ग्रहों से दृष्ट हो
- व्यक्ति दूसरी शादी में भाग्यशाली हो सकता है
ज्योतिष में पुनर्विवाह के योग
🔁 4. शुक्र और मंगल का संबंध:
- यदि शुक्र व मंगल में द्वंद्वात्मक या द्विस्वभाव राशियों में युति या दृष्टि हो
- और विवाह योगकारक ग्रह (जैसे 7वां स्वामी) शामिल हो, तो एक से अधिक विवाह का संकेत मिलता है
🔁 5. द्विस्वभाव राशियों का प्रभाव (मिथुन, कन्या, धनु, मीन):
- यदि लग्न, चंद्र, या 7वां भाव इन राशियों में हो
- या इन राशियों में 7वां स्वामी हो → दूसरी शादी के योग प्रबल होते हैं
🔁 6. दशा और गोचर (Dasha & Transit) में बदलाव:
- पहली शादी के विघटन के समय शुक्र/राहु/केतु/शनि की अशुभ दशा चल सकती है
- पुनर्विवाह तब संभव होता है जब 7वें, 2रे या 9वें भाव के स्वामी की शुभ दशा शुरू होती है
- बृहस्पति (गुरु) का गोचर 7वें, 2रे या 9वें भाव पर आए, तो पुनर्विवाह के योग सशक्त होते हैं
🧿 विशेष योग (Combinations) जो पुनर्विवाह का संकेत देते हैं:
योग | संकेत |
---|---|
7वां स्वामी 6वें/8वें/12वें भाव में हो | विवाह टूटने की संभावना |
शुक्र राहु युति या दृष्टि | प्रेम में धोखा, अलगाव, पुनर्विवाह की संभावना |
द्विस्वभाव राशि में लग्न, चंद्र या शुक्र | दो विवाह की संभावनाएँ |
7वां स्वामी वक्री या पाप दृष्ट | विवाह असफल हो सकता है |
D-9 (Navamsa) में 7वां स्वामी नीच/पीड़ित | वैवाहिक जीवन में बाधा और पुनर्विवाह का संकेत |
🪔 पुनर्विवाह के योग – उदाहरणार्थ संकेत:
- ♀ यदि तुला लग्न हो और मंगल + शुक्र 7वें भाव में हों – पहला विवाह विवाद से टूट सकता है, दूसरा विवाह सफल हो सकता है
- ♀ कन्या लग्न में राहु + शुक्र की युति सप्तम में हो तो प्रेम विवाह असफल, और पुनर्विवाह की संभावना
📿 पुनर्विवाह के लिए उपाय (यदि कुंडली में अशुभ योग हों):
- विवाह से पूर्व कुंडली मिलान करें, विशेषकर द्वितीय विवाह में
- शुक्र और सप्तम भाव के स्वामी को बल दें (रत्न या दान द्वारा)
- राहु–केतु और शनि की शांति हेतु उपाय करें
- “गौरी–शंकर रुद्राक्ष” धारण करें – स्थिर वैवाहिक जीवन के लिए
- शिव-पार्वती की पूजा करें, विशेषतः सोमवार को
- बृहस्पति मंत्र या नवग्रह शांति यज्ञ कराएं
✨ निष्कर्ष:
पुनर्विवाह कोई दोष नहीं, बल्कि एक कर्म-परिवर्तन और भावनात्मक पुनर्निर्माण का योग है।
यदि कुंडली में सप्तम, द्वितीय या नवम भाव से संबंधित ग्रहों में तनाव या परिवर्तन हो, तो जातक के जीवन में दूसरी शादी के संकेत स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं।
👉 यदि आप चाहें, तो आपकी कुंडली देखकर पुनर्विवाह की संभावना, सही समय और ग्रहों की दशा/गोचर के अनुसार विश्लेषण किया जा सकता है।