वैदिक ज्योतिष में लग्नेश – संपूर्ण विवेचना 4 days ago

वैदिक ज्योतिष में लग्नेश संपूर्ण विवेचना_Astrologer Nipun _Joshi

वैदिक ज्योतिष में लग्नेश (Lagnesh) – संपूर्ण विवेचना

लग्नेश (Lagnesh) वह ग्रह होता है जो कुंडली के लग्न (Ascendant / प्रथम भाव) की राशि का स्वामी होता है। यह ग्रह जातक के व्यक्तित्व, जीवन की दिशा, स्वास्थ्य, आत्मबल और भाग्य की नींव को दर्शाता है। संक्षेप में कहा जाए तो लग्नेश = “आपका जीवन संचालक ग्रह” होता है।


🔷 लग्नेश का महत्व – क्यों सबसे महत्वपूर्ण ग्रह है?

विषय विवरण
ग्रह का कार्य जीवन का नियंत्रण, शरीर, आत्मा, स्वास्थ्य, मूल प्रवृत्ति
स्थान जहाँ लग्नेश बैठा होता है, वहीं व्यक्ति का झुकाव और जीवन की ऊर्जा केंद्रित होती है
बल यदि लग्नेश बलवान हो, तो कुंडली मजबूत मानी जाती है
स्वभाव लग्नेश के स्वभाव से जातक का व्यवहार और व्यक्तित्व बनता है

🌟 लग्नेश की शक्ति के अनुसार फल:

बलवान लग्नेश (स्वराशि, उच्च का, शुभ दृष्टि में):

  • उत्तम स्वास्थ्य
  • आत्मविश्वास
  • जीवन में स्पष्ट दिशा और उद्देश्य
  • स्थायित्व और समृद्धि
  • शुभ चरित्र, आकर्षण और नेतृत्व क्षमता

⚠️ निर्बल लग्नेश (नीच का, पाप दृष्टि में, मारक स्थान में):

  • कमजोर स्वास्थ्य
  • आत्म-संदेह या निर्णय में भ्रम
  • जीवन में संघर्ष या बार-बार बाधाएँ
  • मानसिक तनाव या अस्थिरता

लग्नेश की स्थिति कुंडली के प्रथम भाव में

🧭 लग्नेश का विभिन्न भावों में फल (D1 कुंडली के अनुसार):

भाव लग्नेश के फल
1st (लग्न में) अत्यंत बलवान कुंडली; आत्मबल, स्पष्ट सोच, नेतृत्व
2nd परिवार से जुड़ाव, वाणी में प्रभाव, धन संग्रह
3rd साहसी, संचार कुशल, छोटे भाई-बहनों से जुड़ाव
4th माता, भूमि, वाहन से लाभ; शांत स्वभाव
5th बुद्धिमत्ता, शिक्षा, संतान सुख
6th संघर्षशील जीवन, शत्रुओं पर विजय, रोगों से लड़ने की क्षमता
7th जीवनसाथी से जुड़ाव; विवाह महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है
8th गूढ़ विषयों में रुचि; अचानक परिवर्तन; जीवन में रहस्य
9th धर्मिक प्रवृत्ति, भाग्य का साथ; गुरु या पिता का सहयोग
10th कर्म प्रधान जीवन; उच्च पद प्राप्ति का योग
11th लाभ, इच्छा पूर्ति, मित्रों से सहयोग
12th मोक्ष, सेवा, विदेश यात्रा; त्याग की प्रवृत्ति

लग्नेश की स्थिति कुंडली के अष्टम भाव में

🪔 लग्नेश के अनुसार जातक का स्वभाव (लग्न से):

लग्न लग्नेश ग्रह स्वभाव
मेष मंगल उग्र, साहसी, क्रियाशील
वृषभ शुक्र शांत, भौतिकवादी, कलात्मक
मिथुन बुध बुद्धिमान, वाकपटु, परिवर्तनशील
कर्क चंद्र संवेदनशील, कल्पनाशील, भावुक
सिंह सूर्य नेतृत्वशील, आत्मविश्वासी, गर्वीला
कन्या बुध विश्लेषणात्मक, संयमी, विचारशील
तुला शुक्र आकर्षक, संतुलित, सामाजिक
वृश्चिक मंगल रहस्यमयी, दृढ़, साहसी
धनु बृहस्पति धार्मिक, ज्ञानप्रिय, सकारात्मक
मकर शनि यथार्थवादी, कर्मठ, संयमी
कुंभ शनि विचारशील, मानवीय, स्वतंत्र
मीन बृहस्पति आदर्शवादी, रचनात्मक, आध्यात्मिक

लग्नेश की स्थिति कुंडली के सप्तम भाव में

🌿 लग्नेश को मजबूत करने के उपाय:

  1. ग्रह मंत्रों का जाप करें (जैसे लग्नेश सूर्य हो तो “ॐ सूर्याय नमः”)
  2. लग्नेश के अनुरूप रंग और वस्त्र अपनाएं
  3. लग्नेश से संबंधित रत्न पहनें (केवल योग्य ज्योतिषी की सलाह से)
  4. लग्नेश से संबंधित दान करें – जैसे चंद्र लग्नेश हो तो चावल या दूध
  5. प्रातःकाल सूर्योदय के समय ध्यान करें – आत्मबल और दिशा प्राप्त होती है

निष्कर्ष:

लग्नेश वैदिक कुंडली का “प्राण” होता है। यह ग्रह दर्शाता है कि जीवन की मूल यात्रा किस दिशा में जाएगी, और किस प्रकार के अनुभव व्यक्ति को आत्मिक व सामाजिक विकास में सहायता देंगे। यदि लग्नेश मजबूत हो तो शेष ग्रहों के दोष भी काफी हद तक संतुलित हो सकते हैं।

👉 यदि आप चाहें तो अपनी कुंडली में लग्नेश की स्थिति, बल, दृष्टि और उसके विशेष प्रभावों का व्यक्तिगत विश्लेषण भी मैं कर सकता हूँ।

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