बृहस्पति ग्रह का नवमांश कुंडली में महत्व और बारह भावों में स्थिति के फल 4 days ago

बृहस्पति ग्रह का नवमांश कुंडली में महत्व और बारह भावों में स्थिति के फल _Astrologer Nipun _Joshi

बृहस्पति ग्रह का नवमांश कुंडली (D9 Chart) में महत्व – वैदिक ज्योतिष में विस्तृत विवेचन

नवमांश कुंडली (Navamsa Chart), जिसे D9 चार्ट कहा जाता है, वैदिक ज्योतिष में जीवनसाथी, वैवाहिक जीवन, भाग्य, और आत्मिक परिपक्वता का सूक्ष्म विश्लेषण करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। नवमांश में किसी ग्रह की स्थिति उसके वास्तविक बल (शक्तियों) को दर्शाती है। यह बताया गया है कि “D-1 कुंडली संभावनाएं दिखाती है, जबकि D-9 उनका वास्तविक फल।”


बृहस्पति ग्रह का नवमांश कुंडली में महत्व और बारह भावों में स्थिति के फल

🌟 बृहस्पति ग्रह का स्वभाव और महत्व (सामान्य रूप से):

विषय विवरण
ग्रह स्वभाव शुभ ग्रह, ज्ञान, धर्म, गुरु, उच्च शिक्षा, विवाह, संतान
तत्व आकाश
अधिदेवता बृहस्पति / देवगुरु
राशि स्वामी धनु और मीन
उच्च का स्थान कर्क राशि में
कारकता गुरु, जीवनसाथी (कुंडली में पुरुष के लिए पत्नी का कारक), धार्मिकता

🔱 नवमांश कुंडली में बृहस्पति का महत्व क्यों बढ़ जाता है?

  1. D9 चार्ट = धर्म + विवाह + जीवन की सच्ची स्थिरता का प्रतिनिधित्व।
  2. बृहस्पति धर्म, गुरु और भाग्य का मूल ग्रह है – इस कारण नवमांश में यह सबसे शक्तिशाली शुभग्रहों में एक बन जाता है।
  3. बृहस्पति पति का कारक (karaka) होता है – विशेषकर महिला जातकों की नवमांश कुंडली में इसकी स्थिति विवाह सुख का संकेत देती है।
  4. यदि बृहस्पति नवमांश में बलवान हो, तो व्यक्ति धार्मिक, ज्ञानवान, सदाचारी, परोपकारी और अच्छे वैवाहिक जीवन वाला होता है।

🌠 बृहस्पति नवमांश में किस तरह का फल देता है:

यदि बृहस्पति नवमांश में शुभ हो (स्वराशि, उच्च, मित्र राशि में):

  • वैवाहिक जीवन में सुख और समझदारी
  • उच्च शिक्षा में सफलता, धर्म में रुचि
  • गुरु का सहयोग, अच्छे मार्गदर्शन की प्राप्ति
  • भाग्यवृद्धि, विदेश यात्रा या उच्च पद

⚠️ यदि बृहस्पति नवमांश में अशुभ हो (नीच राशि, पाप दृष्ट):

  • विवाह में देरी या असंतोष
  • गुरु-दोष, मार्गदर्शन की कमी
  • संतान में बाधा या चिंताएं
  • धर्म के मार्ग से विचलन, मूर्खता या अहंकार

🏠 नवमांश में बृहस्पति के भावानुसार फल (सारांश):

नवमांश भाव संभावित फल
1st आत्मिक रूप से ज्ञानी, विवाह से आत्म-विकास
4th शांत व धार्मिक स्वभाव, विवाह से घर-परिवार में संतोष
5th संतान सुख, उच्च शिक्षा, प्रेम में शुद्धता
7th शुभ जीवनसाथी, धार्मिक व संस्कारी पति/पत्नी
9th गुरु कृपा, भाग्यवृद्धि, जीवन में सकारात्मक मार्ग
12th मोक्ष की ओर झुकाव, संयम, त्याग – यदि शुभ हो तो आध्यात्मिक शक्ति

🌿 विशेष संकेत:

  1. यदि बृहस्पति D-1 में अच्छा हो, पर D-9 में नीच का हो – तो विवाह/भाग्य/धर्म के क्षेत्र में बाधाएं आती हैं।
  2. यदि बृहस्पति D-1 में कमजोर हो, पर D-9 में उच्च का हो – तो जीवन में देर से लेकिन बहुत अच्छे परिणाम मिलते हैं।
  3. स्त्रियों के लिए नवमांश का बृहस्पति – उनके पति के चरित्र, स्वभाव, गुण और वैवाहिक सुख का स्पष्ट सूचक है।

📿 बृहस्पति नवमांश में अशुभ हो तो क्या करें?

  1. गुरुवार का व्रत करें
  2. ब्रह्मणों को भोजन या वस्त्र दान करें
  3. गुरु मंत्र जाप:
    • “ॐ बृं बृहस्पतये नमः” – 108 बार प्रतिदिन
  4. पीली वस्तुएँ दान करें: चना दाल, पीले फूल, हल्दी
  5. बृहस्पति यंत्र या पीला पुखराज पहनें (योग्य सलाह के बाद)

निष्कर्ष:

नवमांश कुंडली में बृहस्पति की स्थिति वैवाहिक जीवन, धार्मिक झुकाव, संतान और आत्मिक परिपक्वता का सशक्त संकेत देती है।
यदि यह ग्रह शुभ हो, तो जातक जीवन में ऊँचाइयों को छूता है। यदि यह अशुभ हो, तो मानसिक भ्रम, वैवाहिक समस्याएं या गुरुहीनता जैसे अनुभव हो सकते हैं।

👉 आप चाहें तो अपनी D1 और D9 कुंडली के आधार पर बृहस्पति की स्थिति का व्यक्तिगत विश्लेषण भी करवाकर अपने विवाह, संतान और धर्म-पथ की दशा जान सकते हैं।

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