मांगलिक दोष (Manglik Dosha) – वैदिक ज्योतिष में सम्पूर्ण विश्लेषण 4 days ago

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मांगलिक दोष (Manglik Dosha) – वैदिक ज्योतिष में सम्पूर्ण विश्लेषण

मांगलिक दोष, जिसे कुज दोष या मंगल दोष भी कहा जाता है, वैदिक ज्योतिष में मंगल ग्रह (Mars) की विशिष्ट स्थितियों से उत्पन्न एक योग है जो विवाह और वैवाहिक जीवन को प्रभावित करता है। मंगल एक अग्नि प्रधान ग्रह है, और जब यह कुछ विशेष भावों में स्थित होता है, तो यह वैवाहिक जीवन में संघर्ष, तनाव, या अशांति ला सकता है।


मांगलिक दोष (Manglik Dosha) – वैदिक ज्योतिष में सम्पूर्ण विश्लेषण

🔴 मांगलिक दोष क्या है?

यदि मंगल जन्म कुंडली के 1st, 2nd, 4th, 7th, 8th, या 12th भाव में स्थित हो, तो मांगलिक दोष बनता है। ये भाव वैवाहिक सुख, मानसिक स्थिति, और पारिवारिक जीवन से संबंधित होते हैं। इन स्थानों पर मंगल की उग्रता से वैवाहिक जीवन में कठिनाइयाँ आ सकती हैं।


🏠 भावानुसार मांगलिक दोष के प्रभाव:

भाव प्रभाव
1st (लग्न भाव) स्वभाव में क्रोध, वैवाहिक जीवन में वर्चस्व की भावना
2nd परिवार में मतभेद, ससुराल पक्ष से संघर्ष
4th मानसिक अशांति, घर में कलह
7th (विवाह भाव) जीवनसाथी से संघर्ष, वैवाहिक जीवन में खटास
8th जीवनसाथी की सेहत या दीर्घायु पर खतरा, दुर्घटनाएँ
12th मानसिक और शारीरिक असंतोष, परस्पर दूरी

💥 मांगलिक दोष के प्रकार:

  1. पूर्ण मांगलिक दोष: जब मंगल उपरोक्त भावों में से किसी में हो, और कुण्डली में इसका प्रभाव तीव्र हो।
  2. आंशिक मांगलिक दोष: जब कुंडली के कुछ अन्य शुभ योग मंगल के प्रभाव को कम कर देते हैं।
  3. अनुलोम मांगलिक दोष: केवल एक पक्ष (वर या वधु) की कुंडली में दोष हो।
  4. विलोम मांगलिक दोष: जब दोनों की कुंडलियों में दोष हो — ऐसे में दोष शांत हो जाता है।

🔄 कुंडली मिलान में मांगलिक दोष का महत्व:

  • विवाह हेतु गुण मिलान करते समय मांगलिक दोष विशेष रूप से देखा जाता है।
  • यदि दोनों जातक मांगलिक हों, तो दोष निरस्त माना जाता है।
  • केवल एक जातक मांगलिक हो और दूसरा नहीं, तो वैवाहिक समस्याएँ, तनाव, या अलगाव की संभावना बढ़ जाती है।

मांगलिक दोष के समाधान (उपाय):

  1. कुंभ विवाह (Virtual Marriage Remedy):
    • मांगलिक जातक पहले किसी पेड़, मूर्ति, या प्रतीकात्मक वस्तु से विवाह करता है — ताकि मंगल का प्रभाव समाप्त हो।
  2. विशेष पूजा:
    • मंगल शांति पूजा, मंगल ग्रह होम, नवग्रह शांति यज्ञ
  3. हनुमान जी की उपासना:
    • मंगलवार को हनुमान चालीसा का पाठ
    • बजरंग बाण या सुंदरकांड का पाठ
  4. मंगल मंत्र का जाप:
    • “ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः” – प्रतिदिन 108 बार
  5. दान करना:
    • तांबे का पात्र, लाल वस्त्र, मसूर की दाल, मूंगा रत्न
  6. गुरु या योग्य ज्योतिषाचार्य की सलाह से रत्न धारण करें:
    • लाल मूंगा (Coral) – लेकिन तभी जब मंगल शुभ हो

निष्कर्ष:

मांगलिक दोष कोई अभिशाप नहीं है, बल्कि एक ऊर्जावान ग्रह की तीव्रता को संतुलित करने की आवश्यकता है। सही जोड़ी का चयन, उचित पूजा और उपायों से इसके प्रभाव को न्यूनतम किया जा सकता है।

👉 यदि आप चाहें, तो अपनी या अपने विवाहयोग्य परिजन की कुंडली के आधार पर मैं यह देख सकता हूँ कि मांगलिक दोष कितना प्रभावी है और उसके लिए कौन सा विशेष उपाय उचित होगा।

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