बाहरी ग्रह Uranus, Neptune, Pluto इनका सम्बन्ध वैदिक ज्योतिष से 2 days ago

बाहरी ग्रह Uranus, Neptune, Pluto _Astrologer Nipun _Joshi

Uranus, Neptune और Pluto — ये तीनों बाह्य ग्रह (Outer Planets) आधुनिक खगोल विज्ञान में महत्वपूर्ण माने जाते हैं, लेकिन इनका स्थान वैदिक ज्योतिष (Vedic Astrology) में पारंपरिक रूप से नहीं रहा है। फिर भी आधुनिक वैदिक ज्योतिष के कुछ शाखाओं में इन ग्रहों को प्रयोग में लाया गया है।

नीचे इन तीनों ग्रहों का वैदिक ज्योतिष के संदर्भ में विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है:


🔭 1. वैदिक ज्योतिष में पारंपरिक ग्रह (नवग्रह)

वैदिक ज्योतिष में केवल 9 ग्रहों को मान्यता है:

☀️ सूर्य | 🌙 चंद्र | ♂️ मंगल | ☿ बुध | ♃ बृहस्पति | ♀️ शुक्र | ♄ शनि | ☊ राहु | ☋ केतु

इन ग्रहों को नक्षत्रों, दशाओं, भावों और योगों के साथ गहराई से जोड़ा गया है।


🌌 Uranus, Neptune, Pluto: आधुनिक ग्रह और वैदिक दृष्टिकोण

ग्रह खगोलीय खोज वैदिक में स्थान आधुनिक वैदिक प्रयोग
Uranus (अरुण) 1781 में खोज पारंपरिक रूप से नहीं कुछ आधुनिक वैदिक ज्योतिषी इसे राहु/शनि से जोड़ते हैं
Neptune (वरुण) 1846 में खोज पारंपरिक रूप से नहीं केतु/चंद्र की प्रकृति मानी जाती है
Pluto (यम) 1930 में खोज पारंपरिक रूप से नहीं मंगल/केतु जैसे प्रभाव माने जाते हैं

बाहरी ग्रह Uranus, Neptune, Pluto इनका सम्बन्ध वैदिक ज्योतिष से

🧠 इन ग्रहों के भावार्थ (Modern Interpretations in Vedic Context)

🔵 Uranus (अरुण)

  • अचानक परिवर्तन, विद्रोह, स्वतंत्रता, तकनीकी क्रांति
  • वैदिक में यह राहुशनि से साम्यता रखता है
  • 8वां भाव या कुंभ राशि में इसका प्रयोग किया जाता है
  • राशि प्रभाव: मिथुन, कुंभ, तुला में अच्छा फल देता है

🔵 Neptune (वरुण)

  • भ्रम, दिव्यता, कल्पना, आंतरिक दर्शन, आध्यात्मिकता
  • वैदिक में इसे केतु और चंद्र से जोड़ते हैं
  • 12वें भाव, मीन राशि या नक्षत्र शतभिषा आदि से जुड़ाव
  • ग्रह योग: राहु-केतु के साथ भ्रम, माया या रहस्यपूर्ण प्रभाव दे सकता है

🔴 Pluto (यम)

  • गहरा परिवर्तन, विनाश और पुनर्जन्म, सत्ता और मनोविज्ञान
  • वैदिक में इसे मंगल-केतु जैसा ग्रह माना गया है
  • 8वां भाव, वृश्चिक राशि, मृत्यु/गोपन विषयों में प्रयुक्त
  • राशि प्रभाव: वृश्चिक, मकर, कुंभ राशि में इसका प्रयोग किया जाता है

📜 क्या वैदिक ज्योतिष में इन्हें स्वीकार किया जाता है?

कुछ आधुनिक और शोध आधारित शाखाएं (Neo-Vedic, KP Astrology, Western-Vedic fusion) इन ग्रहों का विश्लेषण में प्रयोग करती हैं।

पारंपरिक पाराशरी और जमिनी ज्योतिष इन ग्रहों को स्वीकार नहीं करते क्योंकि:

  • इन्हें दृष्टिगोचर नहीं माना गया है (न naked eye visible)
  • इनका गोचर बहुत धीमा होता है – दशकों तक एक राशि में रह सकते हैं
  • दशा प्रणाली (Vimshottari Dasha) इन ग्रहों पर आधारित नहीं है

🔮 इन ग्रहों का प्रयोग कब करें?

  • जब कुंडली में अत्यधिक गूढ़ परिवर्तन, गहरा मानसिक असर, अप्रत्याशित घटनाएं हों
  • मानसिक, आत्मिक, अथवा वैज्ञानिक प्रवृत्ति के विश्लेषण हेतु
  • जब विदेश, विज्ञान, टेक्नोलॉजी, सत्ता संघर्ष से जुड़े जीवन के विषय हों
  • शनि, राहु, केतु की दशाओं में गूढ़ता से विचार हेतु उपयोग किया जा सकता है

🔚 निष्कर्ष:

निष्कर्ष विवरण
परंपरा वैदिक ज्योतिष में इन ग्रहों की कोई सीधी भूमिका नहीं है
आधुनिक प्रयोग नई पीढ़ी के ज्योतिषी इनका सीमित प्रयोग करते हैं
उपयोगिता गूढ़ ज्योतिष, मनोविज्ञान, गुप्त विज्ञान, सत्ता, तकनीकी विषयों में

यदि आप चाहें तो मैं इन ग्रहों के भाव अनुसार प्रभाव या राशियों में इनके प्रभाव की सूची भी बना सकता हूँ। बताइए!

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