द्वादशांश कुंडली (D12 Chart) – वैदिक ज्योतिष में विस्तृत विश्लेषण 3 days ago

द्वादशांश कुंडली (D12 Chart) वैदिक ज्योतिष में विस्तृत विश्लेषण_Astrologer Nipun _Joshi

द्वादशांश कुंडली (D12 Chart) – वैदिक ज्योतिष में विस्तृत विश्लेषण
(Dwadashamsha Chart – D12 in Vedic Astrology)


🔯 द्वादशांश कुंडली (D12) क्या है?

द्वादशांश कुंडली को संस्कृत में “द्वादशांश” तथा अंग्रेज़ी में D12 Chart कहा जाता है। यह कुंडली मुख्यतः माता-पिता, वंश परंपरा, और पूर्वजों के कर्मों से संबंधित होती है।

🔸 D12 = 1 राश‍ि को 12 भागों में बाँटा जाता है (2°30’ प्रत्येक)
🔸 यह कुंडली दर्शाती है कि जन्मकुंडली में ग्रहों की ऊर्जा वंशानुगत रूप में कैसे कार्य करती है।


🌟 D12 कुंडली – मुख्य उपयोग और महत्व:

विषय विवरण
👩‍👧‍👦 माता-पिता माता–पिता से संबंध, उनके जीवन का प्रभाव, उनका स्वास्थ्य
🧬 वंश परंपरा पूर्वजों का कर्म, कुलधर्म, कुल दोष
🪔 पूर्व जन्म से संबंध वंशानुगत कर्म, कुल के पाप–पुण्य
🏡 परिवारिक संस्कार परिवार से प्राप्त गुण, मूल संस्कार
🔮 गोचर फल विश्लेषण माता-पिता पर गोचर का प्रभाव
🧘 आध्यात्मिकता पूर्वजों के माध्यम से प्राप्त शक्ति या अवरोध

🪔 D12 में कौन-से भाव क्या दर्शाते हैं?

भाव संख्या भावार्थ (D12 Chart में)
1st जातक की वंशगत प्रकृति
2nd कुल की संपत्ति, परिवार की परंपरा
3rd पितृ शक्ति से पराक्रम
4th माता से संबंध, माता का स्वभाव
5th माता-पिता के पुण्य
6th वंशगत रोग या दुश्मनी
7th माता–पिता का वैवाहिक जीवन
8th पूर्वजों से जुड़ा छुपा कर्म, कुल दोष
9th पिता से संबंध, कुल धर्म, कुलगुरु
10th कुल की प्रतिष्ठा और जिम्मेदारी
11th कुल का सहयोग, परंपरा से लाभ
12th कुल से दूरी, वंश से त्याग

👨‍👩‍👦 D12 कुंडली में ग्रहों के फल (संक्षेप में):

ग्रह फल (D12 में)
☀️ सूर्य पिता की शक्ति, कुल की आत्मा
🌙 चंद्र माता का मानसिक स्वभाव
♂️ मंगल कुल का बल, पराक्रम, वंशरक्षा
☿️ बुध वंशगत बुद्धि, माता-पिता का तर्क पक्ष
♃ गुरु कुल धर्म, गुरुकृपा
♄ शनि पूर्वजों के पाप, कर्मिक ऋण
♀️ शुक्र माता की कोमलता, कला, प्रेम से संस्कार
☊ राहु कुल दोष, कुल का भ्रम या रहस्य
☋ केतु वंश त्याग, पितृ दोष, आध्यात्मिक विरासत

🔍 D1 (जन्म कुंडली) और D12 के बीच संबंध:

  • जन्मकुंडली (D1) में जो ग्रह 4वें या 9वें भाव में हों, उनकी स्थिति D12 में विशेष महत्व रखती है
  • D12 का लग्न और लग्नेश दर्शाता है कि जातक वंश परंपरा को कैसे जीता है
  • यदि कोई ग्रह D1 में शुभ हो लेकिन D12 में पीड़ित हो, तो वंश या माता-पिता से संबंधित समस्या उत्पन्न हो सकती है

🧿 D12 कुंडली में देखने योग्य विशेष बिंदु:

  1. D12 लग्न और उसके स्वामी की स्थिति
  2. 4वां भाव और चंद्रमा – माता का भाव
  3. 9वां भाव और सूर्य – पिता का भाव
  4. शनि और राहु-केतु – पितृ दोष या वंशगत कष्ट
  5. गुरु – वंश की आध्यात्मिक परंपरा
  6. चतुर्थ और नवम भाव में पाप ग्रह – कुल संबंधी रुकावट

📿 D12 आधारित उपाय (यदि दोष हों):

  • पितृ दोष हो तो:
    “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” का जाप करें
    – पितरों के लिए श्राद्ध, जल तर्पण, पीपल की पूजा करें
  • माता से असंतोष हो तो:
    – चंद्रमा की शांति करें, माँ दुर्गा की आराधना करें
    – माँ की सेवा करें, सफेद वस्त्र, दूध, चावल का दान करें
  • वंश दोष हो तो:
    – कुलदेवता की उपासना करें
    – वंश वृक्ष लगाएँ, पूर्वजों की स्मृति में सेवा कार्य करें

निष्कर्ष:

D12 कुंडली जातक की आत्मा को उसके “वंश, माता-पिता और पूर्वजों” से जोड़ती है।
यह दर्शाती है कि वंशगत गुण, दोष, पुण्य और संस्कार कैसे जातक के जीवन में फल देते हैं।
D12 कुंडली को देखकर माता–पिता के जीवन पर प्रभाव, कुलधर्म, और पूर्वजों के कर्मों की छाया समझी जा सकती है।

👉 यदि आप चाहें तो अपनी D12 कुंडली का व्यक्तिगत विश्लेषण, ग्रहों की स्थिति के आधार पर माता–पिता से संबंध, पितृ दोष, या कुल परंपरा की गहराई को भी जाना जा सकता है।

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